करोड़पति से कंगाल: Elcid Investments की गिरावट ने निवेशकों को रुला दिया


कभी एक दिन में लोगों को करोड़पति बनाने वाला Elcid Investments Ltd अब निवेशकों को कंगाल बना चुका है। शेयर बाजार में कई स्टॉक्स होते हैं जो अचानक बूम करते हैं और लोगों को रातोंरात मालामाल कर देते हैं, लेकिन उन्हीं में कुछ ऐसे भी होते हैं जो वक्त के साथ गिरते जाते हैं और सारी कमाई मिट्टी में मिला देते हैं। Elcid की कहानी कुछ ऐसी ही है जहां शुरुआत में बेमिसाल कमाई ने लोगों को आकर्षित किया, लेकिन अब उन्हीं लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।


Elcid Investments का नाम बाजार में अचानक तब गूंजा जब इसका शेयर 100 रुपये से सीधा ₹2 लाख तक जा पहुंचा था। ये सिर्फ एक दिन का कारनामा था, जिसने उस वक्त तक के कई मल्टीबैगर स्टॉक्स को भी पीछे छोड़ दिया था। जिसने भी उस दिन Elcid में पैसा लगाया, वो अगले 24 घंटे में खुद को करोड़पति की लाइन में खड़ा पाता। लेकिन ये सपना बहुत जल्दी टूट गया।


अब वही शेयर ₹77,902 के आसपास आ चुका है। यानी पिछले 8 महीनों में करीब 60% की गिरावट आ चुकी है। ये गिरावट इतनी खामोशी और तेजी से हुई है कि कई निवेशकों को इसका अंदाजा तक नहीं हो पाया। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि इस शेयर में लिक्विडिटी बेहद कम है और ट्रांजैक्शन बहुत सीमित हैं। जब कोई शेयर ज्यादा ट्रेंड नहीं करता और उसमें खरीदार-बिक्री का संतुलन नहीं होता, तो वहां गिरावट भी बड़ी तेजी से आती है।


Elcid Investments की असली ताकत उसकी होल्डिंग वैल्यू में थी। यह कंपनी Asian Paints जैसी मजबूत कंपनियों में निवेश रखती है और इस वजह से इसकी बुक वैल्यू ₹6 लाख प्रति शेयर तक आंकी गई थी। लेकिन मार्केट प्राइस इससे बहुत कम था। यहीं से शुरुआत हुई एक किस्से की, जहां कई रिटेल निवेशकों को लगा कि वे undervalued मोती पर हाथ रख रहे हैं। लेकिन जिस चीज़ को वे अवसर समझ बैठे, वही उनके लिए बड़ा खतरा बन गया।


शुरुआत में तेजी आई, और फिर कुछ ही दिनों में मुनाफावसूली शुरू हो गई। Promoter group इस कंपनी में 90% से ज्यादा होल्डिंग रखता है। यानी पब्लिक फ्लोट बहुत कम था। ऐसे में थोड़ी सी बिक्री भी शेयर को नीचे लाने लगी। इस बीच चर्चा शुरू हुई कि कंपनी खुद को डीलिस्ट करना चाहती है। यहीं से डर का माहौल बन गया।


ऐसे शेयर जो SME प्लेटफॉर्म पर होते हैं, वहां पारदर्शिता की बहुत कमी होती है। न तो कंपनी की नियमित रिपोर्ट्स सार्वजनिक रूप से आती हैं, न ही कोई ऐसी विश्वसनीयता होती है कि निवेशक पूरी तरह निश्चिंत हो सके। Elcid के मामले में भी यही हुआ।


कई लोगों को लगा कि Asian Paints जैसी बड़ी कंपनी में हिस्सेदारी रखना Elcid को मजबूती देगा। लेकिन हकीकत ये थी कि Elcid सिर्फ एक होल्डिंग कंपनी है, जिसकी खुद की संचालन क्षमता लगभग नगण्य है। इसके पास जो वैल्यू है, वो भी सिर्फ कागज़ी है जब तक उसे भुनाया न जाए।


अब जिन लोगों ने Elcid के ऊंचे भावों पर शेयर खरीदे, उनके पास या तो बेचने का विकल्प नहीं है, या फिर वे हर शेयर पर लाखों का नुकसान झेल रहे हैं। कुछ निवेशक तो ऐसे भी हैं जो अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शेयर फिर से ऊपर जाएगा। लेकिन बाजार में भरोसा टूटने के बाद वापसी आसान नहीं होती।


इस पूरे घटनाक्रम ने ये दिखा दिया है कि सिर्फ बुक वैल्यू या होल्डिंग वैल्यू देखकर निवेश करना खतरनाक हो सकता है। खासकर तब, जब शेयर में लिक्विडिटी न हो, पारदर्शिता न हो, और प्रमोटर्स की होल्डिंग बहुत ज्यादा हो।


ऐसे शेयरों में तेजी जब आती है तो वो एक जाल की तरह होती है, जहां शुरुआत में आकर्षण होता है, लेकिन अंत में सिर्फ नुकसान। Elcid Investments की कहानी एक चेतावनी है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो छोटे प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से पैसा कमाने के सपने देखते हैं।


फिलहाल Elcid फिर कब उठेगा या उठेगा भी या नहीं, इस पर बाजार में कोई स्पष्ट राय नहीं है। लेकिन एक बात तय है अब निवेशकों ने सीख ली है कि किसी स्टॉक के सिर्फ ऊंचे बुक वैल्यू पर भरोसा करना मूर्खता है।

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