35 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में ऐसे बदलाव शुरू होते हैं जो अगर वक्त रहते न पहचाने जाएं तो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।जीवन के इस मोड़ पर महिलाएं करियर, घर-परिवार और सामाजिक ज़िम्मेदारियों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपनी सेहत को अक्सर नजरअंदाज कर देती हैं।वहीं दूसरी ओर, शरीर के भीतर हार्मोनल बदलाव, मेटाबॉलिक बदलाव और इम्यून सिस्टम की धीमी प्रतिक्रिया धीरे-धीरे हेल्थ को कमजोर करने लगती है।महिलाओं के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि 35-40 के बीच की उम्र वह चरण है जब नियमित हेल्थ चेकअप एक तरह की सुरक्षा कवच का काम करता है।समय पर की गई मेडिकल जांच न सिर्फ शरीर में हो रहे परिवर्तनों को पकड़ने में मदद करती हैं, बल्कि किसी गंभीर बीमारी के शुरुआती लक्षणों को भी उजागर कर सकती हैं।अगर इन टेस्ट्स को एक बार रूटीन का हिस्सा बना लिया जाए, तो उम्र के साथ आने वाली परेशानियों को काफी हद तक रोका जा सकता है।ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर टेस्टबढ़ती उम्र के साथ हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा महिलाओं में बढ़ जाता है।35 की उम्र के बाद हर महिला को साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर और फास्टिंग/PP ब्लड शुगर की जांच जरूर करानी चाहिए।यह न केवल हार्ट हेल्थ के लिए जरूरी है, बल्कि थकावट, सिरदर्द, और बार-बार पेशाब जैसी समस्याओं का कारण भी इनसे जुड़ा हो सकता है।लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल टेस्ट)लाइफस्टाइल में बदलाव, गलत खानपान और बढ़ता तनाव कोलेस्ट्रॉल लेवल को असंतुलित कर सकता है।लिपिड प्रोफाइल टेस्ट से यह पता चलता है कि शरीर में गुड (HDL) और बैड (LDL) कोलेस्ट्रॉल का स्तर क्या है।इस टेस्ट से यह अंदाजा लगाना आसान हो जाता है कि व्यक्ति को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कितना रिस्क है।थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (TSH, T3, T4)थायरॉइड की समस्या महिलाओं में बहुत आम है, खासतौर पर 30 की उम्र के बाद। थकान, वजन का अचानक बढ़ना या घटना, मूड स्विंग्स, बाल झड़ना जैसी समस्याएं थायरॉइड असंतुलन के संकेत हो सकते हैं।साल में एक बार TSH, T3 और T4 टेस्ट कराना इस हार्मोनल असंतुलन को समझने और समय पर इलाज शुरू करने के लिए जरूरी है।CBC और विटामिन्स की जांचComplete Blood Count (CBC) टेस्ट से खून की गुणवत्ता और शरीर में संभावित इंफेक्शन या एनीमिया का पता चलता है। वहीं विटामिन D और B12 की कमी 35 के बाद की महिलाओं में आम हो जाती है।इसकी वजह से हड्डियों में दर्द, थकावट, चिड़चिड़ापन और मानसिक सुस्ती महसूस होती है। ऐसे में साल में एक बार यह टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए।Pap Smear और HPV टेस्ट (सर्वाइकल हेल्थ के लिए)सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे कॉमन लेकिन धीरे बढ़ने वाला कैंसर है, जिसकी पहचान शुरुआत में ही हो सकती है अगर Pap Smear टेस्ट समय पर करवा लिया जाए।हर 3 साल में एक बार यह टेस्ट करवाना चाहिए, खासतौर पर अगर महिला की उम्र 30 के पार है और उसने यौन संबंध बनाए हैं। इसके साथ HPV टेस्ट भी किया जाता है, जो इस संक्रमण के मुख्य कारणों में से एक है।मेमोग्राफी और ब्रेस्ट एक्सामिनेशनअगर परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास है या महिला की उम्र 40 के पास पहुंच चुकी है, तो साल में एक बार मेमोग्राफी या कम से कम ब्रेस्ट एक्साम कराना बहुत जरूरी है।मेमोग्राफी से ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती पहचान हो सकती है जिससे इलाज सरल और सफल हो सकता है।बोन डेंसिटी टेस्ट (DEXA Scan)महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हड्डियों का घनत्व तेजी से गिरता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। DEXA स्कैन एक विशेष टेस्ट होता है जो हड्डियों की मजबूती जांचता है।अगर किसी महिला को बार-बार पीठ या जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है, तो यह टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए।महिलाओं के लिए यह समझना जरूरी है कि एक स्वस्थ शरीर ही उनके जीवन की बाकी सभी भूमिकाओं को अच्छे से निभा सकता है।चाहे वह एक मां की भूमिका हो, प्रोफेशनल ज़िम्मेदारी हो या परिवार की देखभाल, सब कुछ तभी मुमकिन है जब आपकी अपनी सेहत बेहतर हो।इसलिए खुद को वक्त दें, साल में एक बार इन सभी जरूरी टेस्ट्स को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं और बीमारियों को पहले ही रोकें, बजाय इसके कि उन्हें झेलना पड़े।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment