ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
उत्तर भारत इन दिनों मूसलाधार बारिश और बाढ़ की मार झेल रहा है। सबसे खराब हालात पंजाब में हैं, जहां भारी बारिश ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 3.5 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। करीब 23 जिलों के 1400 गांव पानी में डूबे हुए हैं। सिर्फ गुरदासपुर जिले में ही 324 गांव बुरी तरह डूब गए हैं। हजारों हेक्टेयर फसल नष्ट हो चुकी है और 5000 से ज्यादा राहत कैंपों में लोग शरण ले रहे हैं। इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी यह हालात बेहद कठिन हो गए हैं।
आखिर क्यों फेल होता है सिस्टम?
भारत में हर साल बरसात के मौसम में जलभराव की समस्या सामने आती है। इसकी जड़ खराब ड्रेनेज सिस्टम है। बरसात का पानी सही से निकल नहीं पाता और सड़क पर जमा हो जाता है। नतीजतन, सड़कें टूटने लगती हैं, गड्ढे बन जाते हैं और कई जगह बाढ़ जैसी स्थिति खड़ी हो जाती है। पंजाब और गुरुग्राम की मौजूदा तस्वीरें इस सच्चाई को और उजागर कर रही हैं।
जर्मनी की पानी पीने वाली सड़कें
हांगकांग का सीवॉटर फ्लशिंग सिस्टम
इज़रायल गंदे पानी को दोबारा इस्तेमाल करने में दुनिया में सबसे आगे है। वहां 90% से ज्यादा गंदे पानी को साफ करके खेतों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं सिंगापुर ने “न्यूवॉटर” नाम की तकनीक बनाई है, जिससे नालों का पानी इतना साफ हो जाता है कि उसे दोबारा पीने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत को क्या सीखना चाहिए?
भारत जैसे बड़े देश में बाढ़ और जलभराव हर साल की समस्या बन चुकी है। लेकिन अगर हम जर्मनी, हांगकांग, इज़रायल और सिंगापुर के उदाहरणों से सीख लें तो हालात को काफी हद तक सुधारा जा सकता है। ज़रूरत है कि हम आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम, पानी के पुनर्चक्रण और उन्नत तकनीकों को तेजी से अपनाएं। तभी इस वार्षिक आपदा से स्थायी समाधान मिल पाएगा।
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