विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट “From Loneliness to Social Connection” ने बेतहाशा चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि अकेलापन सिर्फ मानसिक बीमारी नहीं, बल्कि अब एक जानलेवा कंडीशन बन चुका है।दुनिया में प्रतिदिन 2,400 से ज्यादा मौतें अकेलेपन की वजह से हो रही हैं, यानी हर घंटे लगभग 100 मौतें। ये आंकड़े खुद में डर पैदा करने के लिए काफी हैं।अकेलापन का असर सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि शरीर पर लादता है गंभीर बीमारियांरिपोर्ट बताती है कि अकेलेपन के कारण केवल डिप्रेशन या तनाव नहीं होता, बल्कि हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, डायबिटीज और ओवरऑल सेहत पर सलाहियत भारी असर करता है। ये कंडीशन फिजिकल और मानसिक दोनों स्तरों पर खतरनाक साबित हो रही हैं।इसका संकेत ये भी है कि अकेल रहना अब सिर्फ ‘एक्शनल कंटेंट’ नहीं, बल्कि रिस्की लाइफस्टाइल समझा जाने लगा है।युवा सबसे प्रभावित, 16-24 आयु वर्ग में 40% महसूस करते अकेलापनजर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी के एक रिसर्च पेपर में खुलासा हुआ कि कोविड-19 के बाद अकेलापन कितना तूल पकड़ने लगा है। खासकर भारत में युवा और मेट्रो शहरों के लोग इसके सबसे ज्यादा असर में हैं।रिसर्च बताती है कि भारत में 16-24 आयु वर्ग का करीब 40% युवा हर समय अकेलापन महसूस करता है। जबकि बुजुर्गों की तुलना में ये आंकड़ा कहीं ज्यादा चिंता वाले स्तर पर है।शहरों में डिजिटल फार्म सलूशन लेकिन सब कुछ ठीक नहींशहरीकरण, काम में व्यस्तता, ऑनलाईन सोशल नेटवर्क्स और कोविड की वजह से जुड़े बड़े बदलावों ने हमसे असली कनेक्शन्स छीन लिए। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों में मानो लोगों का सोशल नेटवर्क दोबारा डिजिटल रिंग में बंद हो गया है।परिवार और दोस्तों से कम मिलना और स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना अकेलापन को बढ़ावा दे रहा है।दिल, दिमाग और याददाश्त सब प्रभावितWHO की रिपोर्ट कहती है कि अकेलापन सिर्फ दिल-टाइप की बीमारियाँ नहीं लाता, बल्कि बीपी, स्ट्रोक, डिमेंशिया और अल्जाइमर तक स्वीकृत होता जा रहा है।मानसिक स्तर पर ये अकेलापन आत्महत्या, डिप्रेशन और चिंता जैसी स्थितियाँ पैदा करता है, जिससे बीमारी का दायरा और बढ़ जाता है।भारत में अकेलापन सिर्फ आंकड़े नहीं, असली संकटरिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि भारत में 10.1% लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि ये हाल सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है बल्कि शहरी केंद्रों पर जोरदार संकट का रूप ले चुका है।अकेलापन अकेले जीवन में इजाफा नहीं कर रहा, बल्कि सिस्टम से जुड़ी आर्थिक नुकसान की बात भी सामने आ रही है, 2012-2030 के बीच अकेलापन भारत को 1.03 ट्रिलियन डॉलर का भारी आर्थिक फायदा छिन सकता है।शुरुआती कदम आसान और असरदार भीदिल्ली एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजय राय कहते हैं कि अकेलापन को कम करने का सबसे कारगर रास्ता है फिजिकल एक्टिविटी और सोशल इंटरैक्शन को बढ़ाना।खाली समय में मोबाइल, सोशल मीडिया की जगह घर के बाहर टहलना, दोस्तों से मिलना, ऑफलाइन एक्टिविटीज़ में खुद को शामिल करना, ये छोटे कदम लंबे समय में बड़ा फर्क ला सकते हैं। खासकर बुजुर्गों के लिए ये ज़रूरी हो जाता है।अकेलापन सिर्फ फीलिंग नहीं, ले सकता है जानसमग्र रूप से WHO की रिपोर्ट बताती है कि अकेल रहना अब बस एक भावना नहीं है, बल्कि एक ऐसा सामाजिक और स्वास्थ्य संकट है जिस पर तुरंत प्रतिक्रिया देनी चाहिए।, क्योंकि हर घंटे 100 मौतें, किसी भी देश के लिए अलार्म हैं।अकेलापन का इलाज है, बातचीत, बाहर निकलना, कनेक्शन का मजबूत होना, और अगर जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल मदद लेना।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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