अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 का 12 जून को हुआ हादसा अभी भी कई सवालों को अनुत्तरित छोड़ गया है। इस दर्दनाक घटना में 270 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे। हादसे में मुख्य पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर की भी जान चली गई थी। अब कैप्टन सभरवाल के 91 वर्षीय पिता पुष्करराज सभरवाल ने इस हादसे की दोबारा और औपचारिक जांच की मांग की है। पिता ने उठाए गंभीर सवाल पुष्करराज सभरवाल ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) को पत्र लिखकर कहा कि प्राइमरी रिपोर्ट में कई अहम पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने मीडिया में आई उन खबरों पर नाराजगी जताई, जिनमें कहा गया कि कैप्टन सभरवाल अवसाद में थे और आत्महत्या करना चाहते थे। उनका कहना है कि ऐसी बातें उनके बेटे की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती हैं और परिवार पर गहरा मानसिक असर डालती हैं। बेटे का बेदाग करियर पत्र में पुष्करराज ने बेटे के करियर का जिक्र करते हुए लिखा कि सुमीत के पास 15,638 घंटे का उड़ान अनुभव था। वे एक पायलट प्रशिक्षक भी थे और 25 साल के करियर में उन्होंने कभी कोई हादसा नहीं कराया। उन्होंने तलाक और मां के निधन जैसी निजी घटनाओं के बावजूद पेशेवर जिंदगी में कभी लापरवाही नहीं बरती। उनके अनुसार, बेटे की छवि को धूमिल करने के लिए निजी जीवन को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। बोइंग कंपनी पर आरोप पायलट के पिता ने विमान निर्माता कंपनी बोइंग पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पहले भी बोइंग के विमान हादसों का शिकार हुए हैं। खासकर इथियोपियन एयरलाइंस की दुर्घटना में अमेरिकी जांच में सामने आया था कि बोइंग ने फ्लाइट सॉफ्टवेयर में किए गए बदलावों को पायलटों से छिपाया था। उनका मानना है कि अहमदाबाद हादसे में भी तकनीकी खामियों को नजरअंदाज किया गया है और पूरे सच को सामने लाना जरूरी है। कानूनी प्रावधानों के तहत जांच की मांग पुष्करराज ने सरकार से विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 के नियम 12 के तहत औपचारिक जांच का आदेश देने की मांग की है। इस नियम के मुताबिक, केंद्र सरकार भारतीय पंजीकृत विमान की किसी भी दुर्घटना की गहन जांच करा सकती है। पायलट संगठन की आपत्ति फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने भी AAIB की शुरुआती रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी। संगठन का कहना है कि बिना पूरी जांच किए पायलटों पर दोष डालना जल्दबाजी और गैर-जिम्मेदाराना है। FIP के अध्यक्ष सीएस रंधावा के अनुसार, रिपोर्ट में कॉकपिट बातचीत के केवल कुछ हिस्सों को शामिल किया गया और पायलटों की छवि खराब करने की कोशिश की गई। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें जांच प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। हादसे का दर्दनाक पहलू यह हादसा तब हुआ जब विमान टेकऑफ के कुछ ही देर बाद अहमदाबाद में एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गया। विमान में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे। इसमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। इस दुखद घटना ने देश-विदेश में गहरा शोक पैदा किया। कैप्टन सभरवाल के पिता की अपील और पायलट संगठनों की आपत्तियां इस बात की ओर इशारा करती हैं कि हादसे की असली वजहों को लेकर अभी भी कई संदेह बने हुए हैं। पीड़ित परिवारों और विमानन उद्योग की साख, दोनों के लिए यह बेहद जरूरी है कि जांच निष्पक्ष, पारदर्शी और तकनीकी तथ्यों पर आधारित हो। तभी सैकड़ों जानें लेने वाले इस हादसे की सच्चाई सामने आ पाएगी और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सकेगा। Comments (0) Post Comment
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