"मन के जीते जीत है, मन के हारे हार’ ये लाइन केवल किताबों में पढ़ने के लिए नहीं है, बल्कि साइंस और श्रीमद्भगवद्गीता दोनों मिलकर इस पर अब मुहर लगा चुके हैं।श्रीमद्भगवद्गीता, जिसे हम में से कई लोग केवल एक धार्मिक किताब समझते हैं, असल में वो एक ऐसा मैनुअल है जो हर उम्र, हर पेशे, हर दौर में काम आता है।इस्कॉन द्वारका के इंटरनेशनल स्पिरिचुअल काउंसलर प्रशांत मुकुंद दास मानते हैं कि गीता केवल पूजा-पाठ के लिए नहीं, बल्कि जिंदगी को साइंटिफिक तरीके से समझने का तरीका भी देती है।उन्होंने कहा कि चाहे कोई स्टूडेंट हो, वर्किंग प्रोफेशनल हो या कोई गृहस्थ, अगर वो गीता के श्लोकों को समझे, तो लाइफ में clarity, purpose और mental peace खुद-ब-खुद आने लगता है। और हैरानी की बात ये है कि साइंस भी अब गीता की कई बातों को सही साबित कर चुका है।1. मन की जीत = असली सफलताश्लोक: "उद्धरेदात्मनात्मानं..." (गीता 6.5)मतलब: इंसान खुद का सबसे अच्छा दोस्त और सबसे बड़ा दुश्मन भी खुद ही बन सकता है।साइंटिफिक लॉजिक: Psychology और Neuroscience कहता है कि जो इंसान अपने मन को कंट्रोल कर लेता है, उसकी प्रोडक्टिविटी और सक्सेस रेट कई गुना बढ़ जाती है। माइंडफुलनेस, फोकस और इमोशनल कंट्रोल, यही आज के लीडर्स की भी जरूरत है।2. कर्म का फल पक्का है, चिंता मत करश्लोक: "कर्मण्येवाधिकारस्ते..." (गीता 2.47)मतलब: बस काम करते जाओ, रिजल्ट की टेंशन मत लो।साइंटिफिक लॉजिक: Newton का तीसरा नियम भी यही कहता है, हर एक्शन की एक रिएक्शन होती है। इसलिए गीता का कर्म सिद्धांत और फिजिक्स का लॉ एक ही बात को अपने-अपने तरीके से बोलते हैं।3. योग = फिजिकल और मेंटल बैलेंसश्लोक: "युक्ताहारविहारस्य..." (गीता 6.17)मतलब: जो इंसान खाने, सोने और काम में बैलेंस रखता है, वो दुखों से दूर रहता है।साइंटिफिक लॉजिक: हेल्थ साइंस भी आज बैलेंस्ड लाइफस्टाइल को सबसे बेस्ट मानता है। नियमित नींद, हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और मेडिटेशन आज मेडिकल साइंस की भी सिफारिश है।4. ज्ञान = करियर नहीं, आत्मा की पहचानश्लोक: "न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते..." (गीता 4.38)मतलब: आत्मा का ज्ञान सबसे पवित्र होता है।साइंटिफिक लॉजिक: Self-awareness, Emotional intelligence और Purpose-driven mindset, आज की कोर्पोरेट ट्रेनिंग का बेस यही है, जो गीता हजारों साल पहले बोल चुकी है।5. भक्ति = केवल आस्था नहीं, साइंस से जुड़ा प्रेमश्लोक: "राजविद्या राजगुह्यं..." (गीता 9.2)मतलब: भक्ति सबसे बड़ा विज्ञान है।साइंटिफिक लॉजिक: Neuroscience बताता है कि ध्यान और डिवोशन से ब्रेन में पॉजिटिव न्यूरो-केमिकल्स रिलीज होते हैं जो स्ट्रेस कम करते हैं और इंसान को emotionally stable बनाते हैं।कौन हैं प्रशांत मुकुंद दास?प्रशांत मुकुंद दास, इस्कॉन द्वारका के सीनियर काउंसलर और इंटरनेशनल स्पिरिचुअल गाइड हैं। उन्होंने BSc और MBA करने के बाद विदेश में पढ़ाई की, और फिर इस्कॉन से जुड़ गए। गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज से दीक्षा ली।वो इस्कॉन के मिड-डे मील प्रोग्राम में वाइस प्रेसिडेंट रह चुके हैं और भागवत महाविद्यालय में टीचिंग फैकल्टी भी। दिल्ली और दुबई में उन्हें "Asia’s Spiritual Icon" अवॉर्ड मिल चुका है।2024 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी ने उन्हें श्रीमद्भागवतम ज्ञान को ग्लोबली फैलाने के लिए सर्टिफिकेट दिया। इसके अलावा उन्हें एयर मार्शल नागेश कपूर और स्पेशल कमिश्नर रॉबिन हिगू ने Gallantry Warrior Award 2024 भी दिया।तो कुल मिलाकर सारी बात ये है कि आज जब पूरी दुनिया स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन और डिस्ट्रैक्शन से जूझ रही है, तब गीता जैसे ग्रंथ हमें वापस मूल जीवन की ओर बुलाते हैं।अच्छी बात ये भी है कि अब ये केवल श्रद्धा या आस्था की बात नहीं रही, साइंस ने भी कह दिया है, “Mindfulness, कर्म, संतुलन, आत्मज्ञान, यही असली जीवन की कुंजी है।”आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment