114 साल की उम्र में सड़क हादसे में गई फौजा सिंह की जान, उम्र और हौसले की मिसाल थे!

लेजेंडरी मैराथन रनर फौजा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। 114 साल की उम्र में पंजाब के जालंधर जिले में सड़क पार करते समय एक तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी।


हादसे के बाद उन्हें पास के निजी अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। फौजा सिंह की मौत की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।


पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है।


5 साल की उम्र तक चल भी नहीं पाते थे


आज जिसे पूरी दुनिया टरबन टॉरनेडो और सिख सुपरमैन के नाम से जानती है, वो कभी चल भी नहीं पाता था।


फौजा सिंह के पैर इतने कमजोर थे कि लोग उन्हें ‘डंडा’ कहकर चिढ़ाते थे। पंजाब में ‘डंडा’ का मतलब छड़ी होता है।


बचपन में वे बेहद कुपोषित थे और काफी समय तक चलना भी नहीं सीख पाए। लेकिन जिंदगी ने उन्हें कई बार झकझोरा, और हर बार उन्होंने खुद को साबित किया।


जब उन्होंने 89 साल की उम्र में रनिंग शुरू की तो किसी को यकीन नहीं हुआ। 1992 में पत्नी की मौत और फिर 1994 में बेटे कुलदीप की एक दुर्घटना में मौत के बाद वे इंग्लैंड चले गए।


वहां गहरे दुख से निकलने के लिए उन्होंने मॉर्निंग वॉक करना शुरू किया, और धीरे-धीरे दौड़ने लगे। फिर उन्होंने मैराथन में हिस्सा लेना शुरू किया और 100 की उम्र में भी दौड़ते रहे।


सादा खाना और अदरक वाली चाय था फिटनेस मंत्र


फौजा सिंह ने हमेशा बताया कि उनकी सेहत का राज कोई खास दवा या एक्सरसाइज नहीं, बल्कि सादा खाना, अनुशासन और सकारात्‍मक सोच है।


वे पूरी तरह शाकाहारी थे। उनका डेली डाइट फुल्का, दाल, हरी सब्जियां, दूध, दही और अदरक वाली चाय से बना होता था। वे नशे से कोसों दूर रहते थे।


चंडीगढ़ के सुखना लेक पर एक मैराथन के दौरान उन्होंने कहा था, “पहले 20 मील दौड़ना आसान होता है, लेकिन आखिरी 6 मील भगवान से बात करते हुए दौड़ता हूं।”


उन्होंने यह भी कहा कि देर रात तक जागना और नकारात्मक सोच इंसान को बूढ़ा बना देती है।


बायोपिक और रिकॉर्ड्स ने बनाया उन्हें ‘लिविंग लीजेंड’


खुशवंत सिंह ने फौजा सिंह पर बायोग्राफी 'टरबन टॉरनेडो' लिखी, जिसे 7 जुलाई 2011 को ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लॉन्च किया गया।


इसके अलावा, उनकी जिंदगी पर 2021 में फिल्म 'फौजा' बनाने का ऐलान डायरेक्टर ओमंग कुमार ने किया था।


फौजा सिंह, Sikhs in the City नाम के ग्रुप के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे, जो मैराथन के ज़रिए चैरिटी के लिए फंड जुटाते थे।


उनके कोच हरमंदर सिंह ने अब उनकी याद में इलफोर्ड में क्लब हाउस स्थापित करने के लिए फंड जुटाने की शुरुआत की है।


दुनियाभर की मैराथन में बिखेरा जलवा


फौजा सिंह ने 2000 में पहली बार लंदन मैराथन में हिस्सा लिया और 6 घंटे 54 मिनट में रेस पूरी की।


इसके बाद 2003 में उन्होंने टोरंटो मैराथन 5 घंटे 40 मिनट में पूरी की, जो उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।


2011 में 100 साल की उम्र में उन्होंने टोरंटो वॉटरफ्रंट मैराथन पूरी की और 100 की उम्र में ऐसा करने वाले पहले इंसान बन गए।


हालांकि, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने उनके जन्म प्रमाणपत्र की कमी के चलते उन्हें आधिकारिक दर्जा नहीं दिया।


2011 में ही टोरंटो में उन्होंने एक ही दिन में 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए, 100 मीटर से लेकर 5000 मीटर तक के रेस में। 2000 से 2013 के बीच उन्होंने कुल 18 मैराथन दौड़ीं।


2013 में हांगकांग मैराथन (10 किलोमीटर) उन्होंने 1 घंटे 32 मिनट में पूरी की और इसके बाद रनिंग से संन्यास ले लिया।


आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।


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