भारतीय सेना हर सैनिक को ड्रोन से लैस करने की तैयारी

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भारतीय सेना अब तेजी से मॉडर्न वॉरफेयर (Modern Warfare) की दिशा में कदम बढ़ा रही है। दुनिया भर में हो रहे युद्धोंचाहे वह रूस-यूक्रेन संघर्ष हो, इजरायल-हमास लड़ाई या फिर ईरान पर अमेरिकी हमलेने यह साफ कर दिया है कि अब जंग में तकनीक ही निर्णायक भूमिका निभाएगी। खासकर ड्रोन (Drone), जो दुश्मन की निगरानी, हमला और लॉजिस्टिक सपोर्टहर मोर्चे पर सबसे बड़ा हथियार साबित हो रहे हैं।

 ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाई ड्रोन की ताकत

 भारतीय सेना के लिए ड्रोन की अहमियत पहली बार ऑपरेशन सिंदूर में खुलकर सामने आई। अगर उस दौरान हमारी एंटी-एयर डिफेंस सिस्टम की तैयारी मजबूत होती, तो पाकिस्तान को तुर्की से मिले ड्रोन के झुंड भारी तबाही मचा सकते थे। इस अनुभव ने भारतीय सेना को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि भविष्य की जंग सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि तकनीक से जीती जाएगी।

 इसी कारण अब सेना ने ठान लिया है कि जैसे हर सैनिक के पास व्यक्तिगत हथियार होता है, वैसे ही हर जवान को ड्रोन उड़ाने में भी सक्षम बनाया जाएगा। इसे सेना में “Eagle in the Arm” की सोच कहा जा रहा है।

 हर सैनिक बनेगाभविष्य का योद्धा

 सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि आने वाले दिनों में हमारी मारक क्षमता कई गुना बढ़ेगी। हाल ही में उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में एक सैन्य अकादमी का दौरा किया, जहां ड्रोन ट्रेनिंग दी जा रही है।

 सेना ने अपने 19 प्रमुख मिलिट्री एकेडमियों में ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर बनाने का फैसला लिया है। इसका मकसद यह है कि सैनिक केवल बंदूक या राइफल चलाने तक सीमित रहें, बल्कि ड्रोन के जरिए दुश्मन की गतिविधियों पर दूर से भी बाज़ जैसी नजर रख सकें।

 रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट महेंद्र रावत का कहना है कि सैनिकों को ड्रोन से लैस करने के दो फायदे होंगे

 1. काउंटर-ड्रोन डिफेंस मजबूत होगा।

2. सैनिकों को एक ऐसा अनमैन्ड सिस्टम मिलेगा जो युद्ध के मैदान में निर्णायक साबित होगा।

 इस तरह सेना ऐसेभविष्य के सैनिकतैयार कर रही है, जिनके पास सिर्फ हथियार होंगे बल्कि एक ड्रोन भी होगा, जो उनकी नजर और ताकत को कई गुना बढ़ा देगा।

 युद्ध में चार तरह से काम आएंगे ड्रोन

 भारतीय सेना ड्रोन को सिर्फ निगरानी के लिए नहीं, बल्कि चार अहम कामों में इस्तेमाल करेगी:

 रिकॉन्नेसेंस (निगरानी): दुश्मन की गतिविधियों और ठिकानों पर नजर रखने के लिए।

अटैक (हमला): युद्ध के दौरान लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए।

लॉजिस्टिक्स: युद्ध के बीच जरूरी सामान, गोला-बारूद और राहत सामग्री पहुंचाने के लिए।

मेडिकल इमरजेंसी: घायल सैनिकों तक दवाइयां और प्राथमिक इलाज का सामान पहुंचाने के लिए।

 सेना के जखीरे में नई तकनीक

 सेना अपने हथियारों के जखीरे को तेजी से अपडेट कर रही है। इंफैंट्री बटालियन को अब ड्रोन प्लाटून दिए जा रहे हैं, जबकि आर्टिलरी रेजिमेंट को काउंटर-ड्रोन सिस्टम और लोइटरिंग म्यूनिशन सौंपे जा रहे हैं। इसके अलावा, युद्ध के मैदान में लंबे समय तक टिके रहने के लिए कंपोजिट दिव्यास्त्र बैटरियां भी बनाई जा रही हैं।

 बहरहाल भारतीय सेना अब सिर्फ परंपरागत युद्ध की तैयारी नहीं कर रही, बल्कि खुद को एकटेक्नोलॉजी-ड्रिवन आर्मीमें बदल रही है। हर सैनिक के हाथ में राइफल के साथ ड्रोन भी होगा। यानी, भविष्य का भारतीय जवान सिर्फ एक योद्धा नहीं, बल्किड्रोन वॉरियरहोगाजो दुश्मन को दूर से देख भी सकेगा और जरूरत पड़ने पर तुरंत जवाब भी दे सकेगा।

 

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