ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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जस्टिस यशवंत वर्मा, अगर आप खबरों से ताल्लुकात रखते हैं, तो बेशक ये नाम बीते महीनों में ज़रूर सुना होगा। ये वही है, जिनके घर से इस साल मार्च में करीब 15 करोड़ रुपये कैश मिलने की खबर ने पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया था।
मगर अब उन्होने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपने खिलाफ हुई इन-हाउस जांच और महाभियोग की सिफारिश को चुनौती दी है।
ये मामला संसद के मॉनसून सत्र से पहले एक बड़े मोड़ पर पहुंच चुका है, क्योंकि माना जा रहा है कि इसी सत्र में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
SC पहुंचे जस्टिस वर्मा ने क्या कहा अपनी याचिका में?
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि जांच कमेटी ने उन्हें सुनवाई का मौका तक नहीं दिया।
उन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस संजय खन्ना की सिफारिश को भी चुनौती दी है, जिसमें उन्हें पद से हटाने की बात कही गई थी। वर्मा का कहना है कि ये "असंवैधानिक, गैर-पारदर्शी और पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया" रही।
उन्होंने साफ-साफ कहा है कि जिस तरह से इन-हाउस कमेटी ने रिपोर्ट तैयार की, उसमें न तो उन्हें जवाब देने का मौका दिया गया और न ही निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन किया गया।
कहां से शुरू हुआ ये कैश कांड?
14 मार्च 2025 को जब दिल्ली में जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की सूचना मिली, तो वहां पहुंचे फायर ब्रिगेड को जो मिला उसने सबको हैरान कर दिया। कई नोटों की गड्डियां जली हुई हालत में वहां पड़ी थीं।
बाद में बताया गया कि वहां से करीब 15 करोड़ रुपये कैश मिला था। वो वक्त ऐसा था जब जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे, और मामला पकड़ में आते ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया।
महाभियोग की तैयारी कैसे हुई?
मार्च के इस घटनाक्रम के बाद, तत्कालीन चीफ जस्टिस संजय खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की इन-हाउस कमेटी बनाई थी। जांच पूरी हुई, और बताया गया कि जस्टिस वर्मा को गंभीर आरोपों में दोषी पाया गया है।
हालांकि, जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। फिर भी खबरें आईं कि चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महाभियोग की सिफारिश कर दी।
अब कहा जा रहा है कि 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में सरकार ये महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है।
क्या है महाभियोग प्रक्रिया और अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड?
भारत के इतिहास में आज तक किसी भी जज को महाभियोग के जरिए पद से नहीं हटाया गया है।
हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए महाभियोग जरूरी होता है। संसद के दोनों सदनों से ये प्रस्ताव पास होना चाहिए, फिर राष्ट्रपति के साइन से वो जज पद से हटता है।
अब तक कई जजों पर आरोप लगे, महाभियोग की चर्चा हुई, लेकिन कोई जज भ्रष्टाचार के मामले में दोषी नहीं ठहराया गया। अगर जस्टिस वर्मा को हटाया गया, तो ये देश का पहला केस होगा।
कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?
जन्म: 6 जनवरी 1969, इलाहाबाद
शिक्षा: बीकॉम (हंसराज कॉलेज, DU), LLB (रीवा यूनिवर्सिटी)
कानूनी करियर: 1992 में बने वकील
जज नियुक्ति: 2014 में एडिशनल जज, 2016 में परमानेंट जज (इलाहाबाद HC)
2021: नियुक्त हुए दिल्ली हाई कोर्ट में जज
2025: कैश कांड के बाद हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर
सवाल बड़ा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट जस्टिस वर्मा की याचिका को सुनवाई के लायक मानेगा? क्या संसद में उनके खिलाफ महाभियोग लाया जाएगा? क्या वाकई वो भारत के पहले ऐसे जज बनेंगे जिन्हें इस तरह से पद से हटाया जाएगा?
जो तय है, वो ये कि इस बार मुद्दा सिर्फ पैसा नहीं, सिस्टम की पारदर्शिता, न्यायपालिका की साख और संविधान की मर्यादा पर भी है।
आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।
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