असम के नामरूप की ज़मीन ने वो दे दिया है, जिसे आम ज़बान में लोग 'खजाना' कहते हैं, और ये खजाना है, हाइड्रोकार्बन, यानी कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार।पर अब इसका मतलब सिर्फ इतना नहीं कि तेल निकलेगा, असली बात ये है कि अब असम सरकार खुद तेल के धंधे में हिस्सा लेगी, और सिर्फ रॉयल्टी नहीं, असली मुनाफा भी कमाएगी।ये खबर खुद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने X पर शेयर की। उन्होंने बताया कि ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) को डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप बोरहाट-1 कुएं में हाइड्रोकार्बन का भंडार मिला है। उन्होंने इसे असम के लिए "गर्व का मौका" बताया।अब तक का खेल क्या था?अभी तक तेल और गैस के मामले में असम की भूमिका बस इतनी थी कि वो जमीन देता था, संसाधन देता था, और बदले में OIL या ONGC जैसी सरकारी कंपनियां उसे रॉयल्टी देती थीं, यानी आप की जमीन से किसी और का तेल निकलता था, और आपको बस हिस्सा मिलता था।लेकिन अब इस नए कुएं में जो हाइड्रोकार्बन मिला है, उसमें असम सरकार की कंपनी की सीधी हिस्सेदारी है, यानी अब तेल की कमाई में असम को रॉयल्टी के साथ-साथ सीधा प्रॉफिट भी मिलेगा।असम और तेल का रिश्ता कोई नया नहीं हैअसम को ‘तेल वाला राज्य’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा।1889 में यहां के दिगबोई में देश का पहला तेल कुआं खोजा गया था1901 में यहीं पर देश की पहली ऑयल रिफाइनरी भी बनी थीआज भी भारत में जितना कच्चा तेल निकलता है, उसमें से करीब 14% अकेले असम से आता है2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक, असम में 43.61 लाख मीट्रिक टन तेल का उत्पादन हुआ।2021-22 से 2023-24 के बीच देश में कुल 8.82 करोड़ मीट्रिक टन तेल निकला, जिसमें से 1.25 करोड़ मीट्रिक टन असम में से आया।तेल उत्पादन में राजस्थान पहले, गुजरात दूसरे और असम तीसरे नंबर पर है।अब असम को क्या फर्क पड़ेगा?अब तक OIL या ONGC जैसे केंद्रीय सरकारी उपक्रम असम से तेल निकालते थे, और बदले में सरकार को रॉयल्टी देते थे।2023 में संसद में बताया गया था कि 2019-20 से 2022-23 के बीच असम को 9,291 करोड़ रुपये की रॉयल्टी मिली, सिर्फ कच्चे तेल के लिए।प्राकृतिक गैस की बात करें तो देश की 10% गैस भी असम से आती है।2019 से 2023 के बीच गैस से 851 करोड़ रुपये रॉयल्टी मिली।लेकिन अब जो सबसे बड़ा बदलाव आया है, वो ये है:जिस कुएं (नामरूप बोरहाट-1) में हाइड्रोकार्बन मिला है, उसमें असम सरकार की कंपनी AHECL (Assam Hydrocarbon and Energy Company Ltd) की हिस्सेदारी है।कितनी है हिस्सेदारी?सटीक आंकड़ा नहीं आया है, लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, AHECL की इस ब्लॉक में 10% हिस्सेदारी है।OIL और AHECL के बीच MoU साइन हुआ था, जिसके तहत नामरूप ब्लॉक के 125 वर्ग किलोमीटर एरिया में AHECL को 10% हिस्सा दिया गया था।तो सीधे शब्दों में कहें तो कुल मिला कर नामरूप बोरहाट-1 कुआं इसी ब्लॉक में आता है, जिसमें असम की सरकार की 10% हिस्सेदारी है।मुनाफा कितना मिलेगा फिर?अगर इस कुएं से साल भर में तेल निकालकर 50 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है, तो 10% हिस्सेदारी के हिसाब से असम सरकार को 5 करोड़ रुपये सीधे प्रॉफिट मिलेगा। इसके अलावा रॉयल्टी और टैक्स का हिस्सा अलग से।यानि अब रॉयल्टी का मोहताज नहीं रह जाएगा असम, अब वह खुद तेल के कारोबार का पार्टनर बनेगा।क्या ये कोई गेमचेंजर है?बिल्कुल। क्योंकि ये पहली बार है जब कोई राज्य सरकार न सिर्फ रॉयल्टी ले रही है, बल्कि प्रोडक्शन में सीधा हिस्सा ले रही है। इससे असम को:लगातार मुनाफे का नया जरिया मिलेगाराजस्व में बढ़ोतरी होगीस्थानीय रोजगार पैदा होंगेऊर्जा क्षेत्र में राज्य का रणनीतिक रोल और भी मजबूत होगाअंत में बात बिल्कुल सीधी है, जो राज्य सालों से तेल की ज़मीन देने का काम कर रहा था, अब वही राज्य तेल निकालने में भी बराबर का खिलाड़ी बन गया है। सिर्फ पेट्रोल-डीजल से नहीं, अब सीधे कमाई से बदलेगी असम की किस्मत।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment