एक वक्त था जब अनिल अंबानी भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शुमार होते थे, और उनकी गिनती देश के सबसे तेज़ी से उभरते बिजनेस टाइकून में होती थी।रिलायंस ग्रुप के बंटवारे के बाद उन्होंने टेलीकॉम, पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और मीडिया जैसे कई क्षेत्रों में अपने पैर जमाए।लेकिन समय के साथ उनके कई व्यावसायिक निर्णय गलत साबित हुए और एक के बाद एक कंपनियां कर्ज में डूबती चली गईं।हालात इतने बिगड़ गए कि उन्हें कोर्ट में अपनी संपत्तियों को लेकर हलफनामा दाखिल करना पड़ा।मगर अब ऐसा लग रहा है कि एक लंबे संघर्ष के बाद अनिल अंबानी की किस्मत फिर करवट ले रही है।हाल ही में बैंकों और न्यायालयों से आ रही कुछ सकारात्मक खबरें इशारा कर रही हैं कि शायद अब उनके "अच्छे दिन" की शुरुआत हो रही है।बैंक फ्रॉड केस में राहत, भरोसा लौटता दिखासबसे ताज़ा घटनाक्रम में केनरा बैंक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी यूनिट पर लगाए गए लोन फ्रॉड के आरोप वापस लेने की घोषणा की है।ये वही मामला है, जिसमें बैंक ने पहले कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की थी।अब जब बैंक खुद पीछे हट रहा है, तो माना जा रहा है कि या तो मामला सुलझा लिया गया है या कंपनी ने अपनी स्थिति में सुधार कर लिया है।इस घटनाक्रम से एक अहम संकेत मिलता है, बैंकिंग सेक्टर अब अनिल अंबानी की कंपनियों को एक बार फिर विश्वास की नजर से देखने लगा है।यह वित्तीय बाजारों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है और खुद अनिल अंबानी की साख बहाल होने की दिशा में एक बड़ा कदम है।रिलायंस पावर को कोर्ट से बड़ी राहतरिलायंस पावर की सब्सिडियरी ‘रिलायंस एनयू सनटेक प्राइवेट लिमिटेड’ जो सोलर एनर्जी के बिजनेस में है, उसे हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।दरअसल, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) इस कंपनी के साथ अपना पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) रद्द करना चाह रहा था।इस पर रिलायंस पावर ने कोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए SECI को किसी भी बलपूर्वक कार्रवाई से रोक दिया।यह फैसला कंपनी के लिए न सिर्फ कानूनी तौर पर बल्कि निवेशकों के नजरिए से भी बड़ी राहत है।इससे संकेत मिलता है कि अनिल अंबानी की कंपनियां अब कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर खुद को दोबारा स्थापित करने में सफल हो रही हैं।डिफेंस सेक्टर में विदेशी साझेदारी से नया मोड़अनिल अंबानी के समूह की कंपनी ‘रिलायंस डिफेंस लिमिटेड’ ने हाल ही में अमेरिका की डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर कंपनी ‘Coastal Mechanics Inc’ के साथ एक अहम रणनीतिक साझेदारी की है।इस साझेदारी का उद्देश्य भारत के लगभग ₹20,000 करोड़ के डिफेंस MRO (Maintenance, Repair and Overhaul) बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करना है।दोनों कंपनियां महाराष्ट्र में एक संयुक्त उद्यम (Joint Venture) स्थापित करने जा रही हैं, जो भारतीय रक्षा बलों के इस्तेमाल में आ रहे विमानों और उपकरणों के रखरखाव का कार्य करेगा।इनमें 100 से ज्यादा जगुआर फाइटर जेट, मिग-29, 20 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और L-70 एयर डिफेंस गन शामिल हैं।यह डील न केवल कंपनी की कारोबारी पुनरुत्थान की दिशा में बड़ी उपलब्धि है, बल्कि इससे भारतीय डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी एक मजबूत संदेश गया है।कर्ज चुकाने और मुनाफे की ओर बढ़ता बिजनेसखबरें हैं कि अनिल अंबानी की कुछ कंपनियों ने बीते कुछ वर्षों में धीरे-धीरे कर्ज चुकाना शुरू किया है और अब कुछ कारोबार मुनाफे में भी आने लगे हैं।यह बदलाव उन निवेशकों और बैंकों के लिए बड़ा भरोसा है, जो अब तक इन कंपनियों को जोखिम भरा मानते थे।रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कैपिटल और रिलायंस पावर जैसी कंपनियों ने अपने संचालन में कटौती कर, कोर बिजनेस पर फोकस किया है।इसके अलावा विदेशी निवेशकों के साथ साझेदारी और सरकारी प्रोजेक्ट्स में भागीदारी के जरिए कंपनियां अपने फाइनेंशियल बेस को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं।क्या अब शुरू होगा नया अध्याय?इन तमाम घटनाक्रमों से संकेत मिलता है कि अनिल अंबानी अपने करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।भले ही उन्हें अभी पूरी तरह से कॉरपोरेट वर्ल्ड में वापसी के लिए लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन बैंकों का भरोसा, कोर्ट की राहतें और नई अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां एक मजबूत नींव बन सकती हैं।अंबानी परिवार की तुलना में अनिल अंबानी हमेशा एक अलग राह पर चले, लेकिन अब वे उसी राह पर नए विश्वास और रणनीति के साथ लौटने की तैयारी में हैं।बहरहाल, आने वाले महीने तय करेंगे कि क्या अनिल अंबानी एक बार फिर से भारतीय कॉरपोरेट जगत में अपनी पहचान बना पाएंगे या नहीं!आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment