भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष में भोजन करने का वीडियो

  • Category:

    भारत

  • Subcategory:

    Daily News Of India

क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में रहने वाले वैज्ञानिक या यात्री किस तरह से खाना खाते होंगे? वहां तो ग्रेविटी होती है और ही हमारी रोज़मर्रा की आदतों के लिए सहूलियत। ज़रा सोचिए, अगर आप एक गिलास पानी उठाने जाएं और पानी का हर कतरा हवा में तैरने लगे, तो क्या हाल होगा? भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अपने हालिया वीडियो में यही रहस्य खोलकर सबका ध्यान खींचा है।

 शुभांशु शुक्ला का वीडियो

 लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं और वे अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उनकी यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है। अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बड़े ही सरल और मज़ेदार अंदाज़ में अंतरिक्ष में भोजन से जुड़ी चुनौतियों और दिलचस्प अनुभवों के बारे में बताया।

 शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि वहां सबकुछ तैरने लगता है। इसलिए भोजन और उसके बर्तन तक को वेल्क्रो से चिपकाकर रखना पड़ता है ताकि वे हवा में इधर-उधर उड़ें। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा,कभी सोचा नहीं था कि मुझे फिर से खाना सीखना पड़ेगा।

 वीडियो में वे कॉफी पीते हुए दिखते हैं और बताते हैं कि तरल पदार्थ अंतरिक्ष में छोटे-छोटे बुलबुले की तरह तैरने लगते हैं। अगर ज़रा भी सावधानी बरती जाए, तो ये बुलबुले इधर-उधर फैलकर गंदगी कर सकते हैं। उन्होंने मज़ाक में कहा,आप अंतरिक्ष में पानी खा सकते हैं।इस हल्के-फुल्के अंदाज़ ने वीडियो को और भी रोचक बना दिया।

 गुरुत्वाकर्षण ज़रूरी नहीं

 भोजन पचाने की प्रक्रिया पर भी शुभांशु ने विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यह सोचते हैं कि पाचन के लिए गुरुत्वाकर्षण ज़रूरी है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। हमारे शरीर मेंपेरिस्टालसिसनामक प्रक्रिया चलती है, जिसमें मांसपेशियां सिकुड़कर और फैलकर भोजन को पाचन तंत्र में आगे बढ़ाती हैं। इस प्रक्रिया का गुरुत्वाकर्षण से कोई लेना-देना नहीं होता। चाहे आप उल्टे खड़े हों या बिना गुरुत्वाकर्षण के तैर रहे हों, आपका शरीर भोजन को पचाने में सक्षम रहता है।

 उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष में हर काम धीरे और बेहद सोच-समझकर करना होता है। अगर ज़रा भी लापरवाही हो जाए, तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनका कहना था,यहां मंत्र हैधीरे चलो, तेजी से पहुंचो।

 वीडियो हुआ वायरल

 शुभांशु का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोग सिर्फ इसे पसंद कर रहे हैं बल्कि इससे अंतरिक्ष जीवन के बारे में नई-नई जानकारियां भी ले रहे हैं। आमतौर पर हम धरती पर बिना सोचे-समझे खाना खाते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में यह रोज़मर्रा का काम भी एक बड़ी चुनौती बन जाता है।

 इस वीडियो के ज़रिए शुभांशु शुक्ला ने सिर्फ विज्ञान और अंतरिक्ष में रुचि रखने वालों को नया दृष्टिकोण दिया है बल्कि आम लोगों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अंतरिक्ष यात्रा कितनी रोमांचक और कठिन होती है।

 

Comments (0)