ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में रहने वाले वैज्ञानिक या यात्री किस तरह से खाना खाते होंगे? वहां न तो ग्रेविटी होती है और न ही हमारी रोज़मर्रा की आदतों के लिए सहूलियत। ज़रा सोचिए, अगर आप एक गिलास पानी उठाने जाएं और पानी का हर कतरा हवा में तैरने लगे, तो क्या हाल होगा? भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अपने हालिया वीडियो में यही रहस्य खोलकर सबका ध्यान खींचा है।
शुभांशु शुक्ला का वीडियो
लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं और वे अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उनकी यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है। अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बड़े ही सरल और मज़ेदार अंदाज़ में अंतरिक्ष में भोजन से जुड़ी चुनौतियों और दिलचस्प अनुभवों के बारे में बताया।
वीडियो में वे कॉफी पीते हुए दिखते हैं और बताते हैं कि तरल पदार्थ अंतरिक्ष में छोटे-छोटे बुलबुले की तरह तैरने लगते हैं। अगर ज़रा भी सावधानी न बरती जाए, तो ये बुलबुले इधर-उधर फैलकर गंदगी कर सकते हैं। उन्होंने मज़ाक में कहा, “आप अंतरिक्ष में पानी खा सकते हैं।” इस हल्के-फुल्के अंदाज़ ने वीडियो को और भी रोचक बना दिया।
गुरुत्वाकर्षण ज़रूरी नहीं
भोजन पचाने की प्रक्रिया पर भी शुभांशु ने विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यह सोचते हैं कि पाचन के लिए गुरुत्वाकर्षण ज़रूरी है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। हमारे शरीर में “पेरिस्टालसिस” नामक प्रक्रिया चलती है, जिसमें मांसपेशियां सिकुड़कर और फैलकर भोजन को पाचन तंत्र में आगे बढ़ाती हैं। इस प्रक्रिया का गुरुत्वाकर्षण से कोई लेना-देना नहीं होता। चाहे आप उल्टे खड़े हों या बिना गुरुत्वाकर्षण के तैर रहे हों, आपका शरीर भोजन को पचाने में सक्षम रहता है।
वीडियो हुआ वायरल
शुभांशु का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोग न सिर्फ इसे पसंद कर रहे हैं बल्कि इससे अंतरिक्ष जीवन के बारे में नई-नई जानकारियां भी ले रहे हैं। आमतौर पर हम धरती पर बिना सोचे-समझे खाना खाते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में यह रोज़मर्रा का काम भी एक बड़ी चुनौती बन जाता है।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!