पवन खेड़ा पर दोहरी मतदाता सूची का आरोप, चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया विभाग प्रमुख पवन खेड़ा इन दिनों एक बड़े विवाद में फंसते नज़र रहे हैं। उन पर आरोप है कि उनका नाम दिल्ली की दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज है। इसी मामले को लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।

 पवन खेड़ा ने माना है कि उनका नाम दो सूचियों में मौजूद था, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उन्होंने एक जगह से नाम हटाने के लिए आवेदन पहले ही कर दिया था। बावजूद इसके, चुनाव आयोग इस सफाई से संतुष्ट नहीं दिखा और शाम को उन्हें औपचारिक नोटिस थमा दिया।

 भाजपा का हमला

 भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर पवन खेड़ा के खिलाफ सबूत साझा किए। मालवीय ने दावा किया कि खेड़ा का नाम जंगपुरा और नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्रों, दोनों में दर्ज है। इसके साथ ही उन्होंने पवन खेड़ा को जारी दो ईपिक नंबर और मतदाता सूची की फोटोकॉपी भी पोस्ट की।

 मालवीय ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बार-बार चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाती रही है, लेकिन अब खुद कांग्रेस के ही बड़े नेता पर वोट चोरी का आरोप साबित होता दिख रहा है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने तो यहां तक कह दिया कि "राहुल गांधी की पार्टी के मीडिया प्रमुख ही असली चोर हैं।"

 चुनाव आयोग की प्रक्रिया और कानूनी पहलू

 सूत्रों के अनुसार, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए फॉर्म-6 भरना पड़ता है। वहीं, यदि कोई व्यक्ति अपना नाम एक जगह से हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित करना चाहता है, तो इसके लिए फॉर्म-7 भरना ज़रूरी होता है। आशंका जताई जा रही है कि पवन खेड़ा ने दोनों जगह फॉर्म-6 भरकर अपना नाम शामिल कराया होगा।

 नियम के मुताबिक, फॉर्म-6 भरते समय उम्मीदवार को यह घोषणा करनी होती है कि उसका नाम किसी और मतदाता सूची में दर्ज नहीं है। यदि यह साबित हो जाता है कि खेड़ा ने गलत घोषणा की, तो उन पर जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 31 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस धारा में एक साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सज़ा का प्रावधान है।

 पवन खेड़ा का पलटवार

 पवन खेड़ा ने इस नोटिस को राजनीति से प्रेरित बताया। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा में एक लाख से अधिक संदिग्ध मतदाताओं की सूची चुनाव आयोग को सौंपी थी, लेकिन उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। खेड़ा ने आरोप लगाया कि भाजपा के दबाव में आकर ही आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है।

 भाजपा ने उठाए सवाल

 भाजपा ने इस पूरे मामले को कांग्रेस पर पलटवार करने का मौका बना लिया। पार्टी ने राहुल गांधी से पांच बड़े सवाल पूछे: 

क्या राहुल गांधी को इस धोखाधड़ी की जानकारी थी?

क्या वे पवन खेड़ा कोवोट चोरकहेंगे?

क्या बिहार में उनका अभियान केवल इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए है?

क्या सोनिया गांधी के मतदाता पहचान पत्र पर उठे सवालों पर कांग्रेस माफी मांगेगी?

क्या कांग्रेस पार्टी के भीतर वोट चोरी का संगठित रैकेट चल रहा है?

 बहरहाल, अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग के अगले कदम पर टिकी हैं। यदि यह साबित होता है कि पवन खेड़ा ने जानबूझकर दोहरी जानकारी दी है, तो उन्हें केवल राजनीतिक बल्कि कानूनी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है। यह मामला सिर्फ कांग्रेस की छवि पर असर डाल सकता है बल्कि आने वाले चुनावी माहौल में भाजपा को भी बड़ा मुद्दा हाथ लग सकता है।

 

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